भौगोलिक क्षेत्र:
वर्धा जिल्हा महाराष्ट्राच्या विदर्भ प्रदेशामध्ये 20°28′ एन. व 21°21′ एन. अक्षांश व 78°30′ ते 79°15′ रेखांश दरम्याने स्थित आहे. हा पश्चिम व उत्तरेला अमरावती जिल्हा, पूर्वेला नागपूर जिल्हा, दक्षिणेला यवतमाळ जिल्हा व दक्षिण-पूर्वेला चंद्रपूर जिल्हा द्वारे सीमित आहे. जिल्ह्याची अधिकतम लांबी 125 किमी. आहे व दक्षिण टोकावर ह्याची रुंदी जवळपास 58 किमी. आहे.
जिल्ह्याचे भौगोलिक क्षेत्र 628900 हेक्टर आहे, जे राज्याचे 2.06% क्षेत्र आहे. वर्धा जिल्ह्याचे मुख्यालय आहे व तो रस्ते व रेल्वे जोडणी द्वारे जोडलेला आहे. जिल्ह्यामध्ये आठ तहसील किंवा विकास गट उदा. आष्टी, करंजा, आर्वी, सेलु, वर्धा, देओली, हिंगणघाट व समुद्रपूर इत्यादीचा अंतर्भाव आहे. हे अतिरिक्त 15 महसूल मंडळांमध्ये विभाजित आहेत, जे गावांच्या समूहांमध्ये विभाजित आहेत, ज्यांना “पतवारी हलकास” म्हणतात. जिल्ह्यामध्ये 1004 गावे आहेत.
तहसिल | एकूण क्षेत्रफळ | जंगल व्याप्त क्षेत्र | ओलीत क्षेत्र | कोरडवाहू क्षेत्र | बिगर शेती वापराखालील जमीन | लागवडी लायक नसलेली जमीन |
आर्वी | 67932.00 | 4337.97 | 2098.68 | 42604.01 | 9931.46 | 8952.53 |
आष्टी | 31570.00 | 3553.43 | 1855.02 | 16456.26 | 2175.89 | 7481.59 |
कारंजा | 55872.00 | 7370.32 | 2554.25 | 35564.06 | 5227.02 | 5138.75 |
सेलू | 58857.00 | 3602.73 | 4449.07 | 36388.75 | 7014.01 | 7244.21 |
वर्धा | 69366.00 | 299.72 | 2773.98 | 47321.19 | 9163.43 | 9379.27 |
देवळी | 59318.00 | 108.79 | 1175.41 | 43761.39 | 7500.74 | 6911.14 |
हिंगणघाट | 80165.00 | 1711.15 | 2484.54 | 61492.52 | 5740.11 | 8606.83 |
समुद्रपुर | 79714.00 | 2709.75 | 3273.20 | 58016.47 | 6148.21 | 9668.95 |
पीक भूमि उपयोग:
कोष्टक दर्शविते की, जिल्ह्याच्या एकूण लागवड योग्य क्षेत्रामध्ये कापूस अधिक महत्वपूर्ण पीक म्हणून दिसून येते आहे. कापूस बदलाअंतर्गत क्षेत्र विविध तहसीलांमध्ये 27-14% आहे. हिंगणघाट, वर्धा व आर्वीच्या प्रत्येकी 26% नंतर देवळीचे उच्चतम क्षेत्र 27% आहे. वर्धा (10%) नंतर जवार अंतर्गत क्षेत्र आर्वी (11%) मध्ये उच्चतम आहे. बाकी तहसीलांमध्ये 5-6% क्षेत्र आहे. महत्वपूर्ण कडधान्य पीक पिजनपिया आहे, ज्याने 4-6% दरम्याने क्षेत्र व्यापले आहे. देवळीचे उच्चतम क्षेत्र 7% आहे. गहू अंतर्गत क्षेत्र विविध तहसीलांमध्ये 2-3% दरम्याने भरपूर कमी श्रेणीत आहे. इतर पीकांनी विविध तहसीलांमध्ये पुष्कळ छोटे क्षेत्र व्यापले आहे. हरभरा, भुईमूग समाविष्ट इतर महत्वपूर्ण पीके तीळ बाजरी व ऊस आहेत. फळे व भाजीपाला अंतर्गत क्षेत्र 1-3% दरम्याने आहे. ह्या प्रकारांतर्गत हिंगणघाट व देवळी तहसीलांमध्ये कमी क्षेत्र आहे. ह्या प्रकारांतर्गत आष्टी व करंजा येथे जवळपास 3% क्षेत्र आहे.
गहू | जवार | बाजरी | हरभरा | तूर | मूग | उडीद | मटकी | ऊस | मिरची | फळे व भाजीपाला | कापूस | भुईमूग | तिळ | सोयाबीन | |
वर्धा | 1029 | 3175 | 24 | 642 | 2209 | 63 | 40 | 19 | 18 | 11767 | 1545 | 11767 | 423 | 42 | 3532 |
सेलु | 2420 | 3661 | 5 | 1549 | 2491 | 168 | 227 | 29 | – | 10685 | 2355 | 10685 | 2227 | 43 | 11353 |
समुद्रपूर | 1179 | 10394 | 15 | 483 | 5649 | 142 | 12 | 20 | 365 | 25295 | 1288 | 25295 | 216 | 64 | 4161 |
हिंगणघाट | 3312 | 5246 | – | 1569 | 4919 | 56 | 11 | 30 | 1577 | 21343 | 1194 | 21343 | 202 | 93 | 8130 |
देवळी | 2704 | 12200 | – | 915 | 6315 | 123 | – | 367 | 623 | 30118 | 1035 | 30118 | 41 | 228 | 3936 |
आर्वी | 79 | 6659 | 43 | 1396 | 7437 | 171 | – | 81 | – | 27048 | 55 | 27048 | 21 | 104 | 6684 |
आष्टी | 402 | 6341 | 13 | 3175 | 8314 | 84 | 16 | 117 | 11 | 36967 | 132 | 36967 | 3 | 384 | 15181 |
करंजा | 2374 | 7321 | – | 7104 | 6153 | 10 | 91 | 79 | 133 | 26718 | 934 | 26718 | – | 243 | 23619 |
लोकसंख्या:
वर्धा जिल्ह्याची लोकसंख्या 638990 पुरुष व 597746 महिलांना समाविष्ट करुन 12,36,736 (जनगणना 2001) आहे (प्रत्येक 1000 पुरुषां करिता येथे 935 महिला आहेत). 1991 ते 2001 पर्यंत मागील दहा वर्षांमध्ये लोकसंख्या 12.83% वाढली आहे. त्याचप्रमाणे लोकसंख्या घनतेमध्ये वाढ झाली आहे. वर्ष 2001 मध्ये लोकसंख्या घनता 196/चौ. कि.मी. होती. तहसील अनुसार लोकसंख्या खाली दिलेली आहे.
तहसिल | कुट्रंबाची संख्या | लोकसंख्या | अनुसुचित जाती | अनुसुचित जमाती | ||||||
एकूण | पुरुष | स्रिया | एकूण | पुरुष | स्रिया | एकूण | पुरुष | स्रिया | ||
आर्वी | 23,361 | 102,923 | 53,073 | 49,850 | 13,469 | 6,919 | 6,550 | 19,855 | 10,194 | 9,661 |
आष्टी | 16,156 | 73,594 | 38,037 | 35,557 | 8,869 | 4,647 | 4,222 | 9,333 | 4,805 | 4,528 |
कारंजा | 19,735 | 88,720 | 45,592 | 43,128 | 7,648 | 3,954 | 3,694 | 13,454 | 6,925 | 6,529 |
सेलू | 26,448 | 120,026 | 61,720 | 58,306 | 12,586 | 6,548 | 6,038 | 20,356 | 10,442 | 9,914 |
वर्धा | 41,927 | 187,865 | 97,174 | 90,691 | 23,777 | 12,221 | 11,556 | 20,846 | 10,880 | 9,966 |
देवळी | 23,263 | 102,814 | 52,977 | 49,837 | 17,981 | 9,271 | 8,710 | 15,315 | 7,813 | 7,502 |
हिंगणघाट | 26,730 | 120,136 | 62,035 | 58,101 | 15,448 | 8,002 | 7,446 | 14,483 | 7,510 | 6,973 |
समुद्रपुर | 25,343 | 115,617 | 60,002 | 55,615 | 12,367 | 6,482 | 5,885 | 19,124 | 9,940 | 9,184 |
हवामान व हंगाम :
जिल्ह्याचे हवामान दक्षिणपश्चिम पावसाळा हंगाम वगळून संपूर्ण वर्ष भरपूर उन्हाळा व साधारण कोरडे हवामान द्वारे वैशिष्ट्यपूर्ण आहे. वर्ष चार हंगामांमध्ये विभागलेले राहिल. हिवाळा डिसेंबर पासून ते फेब्रुवारी पर्यंत आहे. उष्ण हंगाम मार्च पासून ते जूनच्या मध्यापर्यंत आहे. हे सर्व दक्षिणपश्चिम पावसाळा हंगामा मागोमाग येते, जो ऑक्टोबरच्या पहिल्या आठवड्यापर्यंत असतो. शेष ऑक्टोबर व नोव्हेंबर उत्तर पावसाळा घटित करतो. जिल्हा -22.27 च्या ओलावा निर्देशांका सोबत दमट (कोरडे) मेगाथर्मल हवामानांतर्गत वर्गीकृत आहे. येथे सरासरी 900 मिमी. पाऊस पडतो, ज्यामधील 80 टक्के जुलै ते सप्टेंबर दरम्याने पडतो. तथापि, ऑक्टोबर ते मे दरम्याने कालावधी कोरडा व तुटीचा आहे. म्हणून ह्या कालावधी दरम्याने पिकविण्यात येणा-या पिकांना सिंचनाची गरज असते.
सौर विकिरण, तापमान, पर्जन्यमान, आर्द्रता व वारा गती आणि संचालन समाविष्ट हवामानाचे मूलतत्त्व. जास्तीत जास्त अभिक्रियांकरिता उपलब्ध पाणी हवामानासंबंधी जल संकल्पनेमध्ये निरुपित आहे. हवामानासंबंधी जल समतोलामध्ये पर्जन्यमान व रोप छताद्वारे प्रभावित बाष्पीकरण व बाष्प निष्कासन करण्यामुळे जल हानी द्वारे मुख्यत: पाण्यामध्ये वृद्धि दरम्याने अंतर आहे.
महिना | पाऊस (मिमी.) | पीइटी (मिमी.) | एइटी (मिमी.) | डब्ल्यूडी (मिमी.) | डब्ल्यूएस (मिमी.) |
जानेवारी | 18.40 | 810.00 | 19.10 | 790.90 | 0.00 |
फेब्रुवारी | 8.99 | 100.29 | 8.99 | 91.30 | 0.00 |
मार्च | 13.14 | 144.60 | 13.15 | 131.45 | 0.00 |
एप्रिल | 6.09 | 170.90 | 6.09 | 164.81 | 0.00 |
मे | 6.98 | 201.70 | 6.98 | 194.72 | 0.00 |
जून | 185.70 | 169.60 | 169.60 | 0.00 | 0.00 |
जुलै | 222.91 | 110.30 | 110.30 | 0.00 | 0.00 |
ऑगस्ट | 225.88 | 102.10 | 102.10 | 0.00 | 52.49 |
सप्टेंबर | 145.16 | 107.00 | 343.20 | 726.80 | 0.00 |
ऑक्टोबर | 58.11 | 112.20 | 58.57 | 53.63 | 0.00 |
नोव्हेंबर | 10.76 | 86.70 | 11.24 | 75.46 | 0.00 |
डिसेंबर | 0.84 | 73.20 | 1.15 | 72.05 | 0.00 |
एकूण | 902.96 | 2,188.59 | 850.47 | 2,301.12 | 52.49 |
पीइटी : संभाव्य बाष्प निष्कासन, एइटी : वास्तविक बाष्प निष्कासन, डब्ल्यूडी : जल तुट, डब्ल्यूएस : पाणी पुरवठा
टिप्पणी : विविध निर्देशांकांच्या भाषेत हवामानासंबंधी अस्थिरता पीक वृद्धि करिता उपलब्ध माती ओलाव्याचे अनुमान काढण्याकरिता मदत करेल. थॉर्नथवेट (1948) व थॉर्नथवेट व माथर (1957) पद्धत हवामानासंबंधी जल समतोल पृथक्करण करण्याकरिता येथे उपयोगात आणण्यात येते. ही एकूण पर्जन्य (पाणी पुरवठा) व बाष्प निष्कासन (पाणी आवश्यकता) वर आधारित आहे. जेव्हा एकूण पर्जन्य पाणी आवश्यकतेपेक्षा अधिक असेल, तेव्हा तेथे साठवण, लीचिंग व खोल झरण करिता अधिक पाणी आहे, परंतु जेव्हा पाणी पुरवठा पाणी आवश्यकते पेक्षा कमी पडेल, तेव्हा तो सरळ मार्ग सोडून जाणारा आहे.
पर्जन्यमान :
वर्धा जिल्ह्यामध्ये पर्जन्यमान वितरण दर्शविते की, जिल्ह्याच्या दक्षिणी हिस्स्यांना उत्तरी हिस्स्यांपेक्षा जास्त पर्जन्यमान (पाऊस) प्राप्त होते. समुद्रपूर व हिंगणघाट येथे 1132 मिमी. उच्चतम सरासरी पाऊस पडतो, तर देओली, वर्धा व सेलु येथे 1099 मिमी. पावसाची नोंद होते. आष्टी, आर्वी व करंजा सहित उत्तरी हिस्स्यांमध्ये 979 मिमी. पावसाची नोंद झाली आहे. माह अनुसार वितरण प्रतिबिंबित करते की, मुख्यत: जून ते ऑक्टोबर दरम्याने पाऊस ऑगस्ट महिन्यामध्ये हिंगणघाट येथे 493 मिमी., समुद्रपूर येथे 391 मिमी., वर्धा येथे 344 मिमी. व देओली येथे 319 मिमी. पावसासोबत उच्चतम पाऊस पडतो. नोव्हेंबर ते मे दरम्याने पाऊस भरपूर कमी आहे व ओलावा शेती करिता उपलब्ध नाही आहे. तुलनात्मकदृष्ट्या उच्च पावसासोबत दक्षिणी हिस्से उपलब्ध ओलाव्यासोबत खरीप पिकांना आधार देतील.
हवामान व हंगाम :
जिल्ह्याचे हवामान दक्षिणपश्चिम पावसाळा हंगाम वगळून संपूर्ण वर्ष भरपूर उन्हाळा व साधारण कोरडे हवामान द्वारे वैशिष्ट्यपूर्ण आहे. वर्ष चार हंगामांमध्ये विभागलेले राहिल. हिवाळा डिसेंबर पासून ते फेब्रुवारी पर्यंत आहे. उष्ण हंगाम मार्च पासून ते जूनच्या मध्यापर्यंत आहे. हे सर्व दक्षिणपश्चिम पावसाळा हंगामा मागोमाग येते, जो ऑक्टोबरच्या पहिल्या आठवड्यापर्यंत असतो. शेष ऑक्टोबर व नोव्हेंबर उत्तर पावसाळा घटित करतो. जिल्हा -22.27 च्या ओलावा निर्देशांका सोबत दमट (कोरडे) मेगाथर्मल हवामानांतर्गत वर्गीकृत आहे. येथे सरासरी 900 मिमी. पाऊस पडतो, ज्यामधील 80 टक्के जुलै ते सप्टेंबर दरम्याने पडतो. तथापि, ऑक्टोबर ते मे दरम्याने कालावधी कोरडा व तुटीचा आहे. म्हणून ह्या कालावधी दरम्याने पिकविण्यात येणा-या पिकांना सिंचनाची गरज असते.
सौर विकिरण, तापमान, पर्जन्यमान, आर्द्रता व वारा गती आणि संचालन समाविष्ट हवामानाचे मूलतत्त्व. जास्तीत जास्त अभिक्रियांकरिता उपलब्ध पाणी हवामानासंबंधी जल संकल्पनेमध्ये निरुपित आहे. हवामानासंबंधी जल समतोलामध्ये पर्जन्यमान व रोप छताद्वारे प्रभावित बाष्पीकरण व बाष्प निष्कासन करण्यामुळे जल हानी द्वारे मुख्यत: पाण्यामध्ये वृद्धि दरम्याने अंतर आहे.
महिना | पाऊस (मिमी.) | पीइटी (मिमी.) | एइटी (मिमी.) | डब्ल्यूडी (मिमी.) | डब्ल्यूएस (मिमी.) |
जानेवारी | 18.40 | 810.00 | 19.10 | 790.90 | 0.00 |
फेब्रुवारी | 8.99 | 100.29 | 8.99 | 91.30 | 0.00 |
मार्च | 13.14 | 144.60 | 13.15 | 131.45 | 0.00 |
एप्रिल | 6.09 | 170.90 | 6.09 | 164.81 | 0.00 |
मे | 6.98 | 201.70 | 6.98 | 194.72 | 0.00 |
जून | 185.70 | 169.60 | 169.60 | 0.00 | 0.00 |
जुलै | 222.91 | 110.30 | 110.30 | 0.00 | 0.00 |
ऑगस्ट | 225.88 | 102.10 | 102.10 | 0.00 | 52.49 |
सप्टेंबर | 145.16 | 107.00 | 343.20 | 726.80 | 0.00 |
ऑक्टोबर | 58.11 | 112.20 | 58.57 | 53.63 | 0.00 |
नोव्हेंबर | 10.76 | 86.70 | 11.24 | 75.46 | 0.00 |
डिसेंबर | 0.84 | 73.20 | 1.15 | 72.05 | 0.00 |
एकूण | 902.96 | 2,188.59 | 850.47 | 2,301.12 | 52.49 |
पीइटी : संभाव्य बाष्प निष्कासन, एइटी : वास्तविक बाष्प निष्कासन, डब्ल्यूडी : जल तुट, डब्ल्यूएस : पाणी पुरवठा
टिप्पणी : विविध निर्देशांकांच्या भाषेत हवामानासंबंधी अस्थिरता पीक वृद्धि करिता उपलब्ध माती ओलाव्याचे अनुमान काढण्याकरिता मदत करेल. थॉर्नथवेट (1948) व थॉर्नथवेट व माथर (1957) पद्धत हवामानासंबंधी जल समतोल पृथक्करण करण्याकरिता येथे उपयोगात आणण्यात येते. ही एकूण पर्जन्य (पाणी पुरवठा) व बाष्प निष्कासन (पाणी आवश्यकता) वर आधारित आहे. जेव्हा एकूण पर्जन्य पाणी आवश्यकतेपेक्षा अधिक असेल, तेव्हा तेथे साठवण, लीचिंग व खोल झरण करिता अधिक पाणी आहे, परंतु जेव्हा पाणी पुरवठा पाणी आवश्यकते पेक्षा कमी पडेल, तेव्हा तो सरळ मार्ग सोडून जाणारा आहे.
पर्जन्यमान :
वर्धा जिल्ह्यामध्ये पर्जन्यमान वितरण दर्शविते की, जिल्ह्याच्या दक्षिणी हिस्स्यांना उत्तरी हिस्स्यांपेक्षा जास्त पर्जन्यमान (पाऊस) प्राप्त होते. समुद्रपूर व हिंगणघाट येथे 1132 मिमी. उच्चतम सरासरी पाऊस पडतो, तर देओली, वर्धा व सेलु येथे 1099 मिमी. पावसाची नोंद होते. आष्टी, आर्वी व करंजा सहित उत्तरी हिस्स्यांमध्ये 979 मिमी. पावसाची नोंद झाली आहे. माह अनुसार वितरण प्रतिबिंबित करते की, मुख्यत: जून ते ऑक्टोबर दरम्याने पाऊस ऑगस्ट महिन्यामध्ये हिंगणघाट येथे 493 मिमी., समुद्रपूर येथे 391 मिमी., वर्धा येथे 344 मिमी. व देओली येथे 319 मिमी. पावसासोबत उच्चतम पाऊस पडतो. नोव्हेंबर ते मे दरम्याने पाऊस भरपूर कमी आहे व ओलावा शेती करिता उपलब्ध नाही आहे. तुलनात्मकदृष्ट्या उच्च पावसासोबत दक्षिणी हिस्से उपलब्ध ओलाव्यासोबत खरीप पिकांना आधार देतील.
माती व तिची वैशिष्टये
माती: जिल्ह्याचे जवळपास संपूर्ण क्षेत्र काळवथरी दगडाच्या एका स्तरावर काळ्या किंवा गडद तपकिरी मातीच्या एका पातळ आवरणाचे बनलेले आहे. माती पूर्णपणे सुपीक आहे व चांगली कापूस व जवार पीके घेण्या करिता सक्षम आहे. माती आकारः ही काही इंचांपासून ते दहा फुटा पर्यंत बदलते (सरासरी सांद्रता 2 फुट आहे).
मातीचे प्रकार:
1. उथळ माती: ही हिंगणघाट तहसीलचा पूर्वी भाग, वर्धा तहसीलचा उत्तरी भाग व आर्वी तहसीलचा मध्य भाग येथे आढळते.
2. मध्यम माती: ही हिंगणघाट तहसीलचा पश्चिमी भाग व आर्वी तहसीलचा पश्चिमी भाग येथे आढळते.
कापसाकरिता चांगली माती आर्वी तहसील मध्ये वर्धा नदीच्या पूर्वी तटाच्या बाजूने आढळते.
मातीचे प्रकार:
जिल्ह्याची माती चार मुख्य प्रकार उदा. काळी, मोरंड, खरडी व बरडी अंतर्गत समूहबद्ध करता येईल.
1. काळी किंवा सुपीक काळी माती: ही माती वर्धाचा मोठा हिस्सा व्यापते व बहुधा आर्वी व हिंगणघाट येथे आढळते. ही माती ओलावा टिकवून ठेवण्याची उत्कृष्ट शक्ती धारण करते व जेव्हा खरीप पिकां करिता हवामान व जलनिःसारण योग्य आहे, तेव्हा ती पूर्णपणे अधिक चांगले उत्पन्न देते. काळी माती मध्ये नांगरणी करणे पुष्कळ अवघड आहे. परिणामस्वरुप ह्यामध्ये गहू पिकविणे पुष्कळदा एक लहान गवत आहे. रबी कडधान्ये उदा. मसूर, वाटाणा व तीवरा करिता काळी एक आवडती माती आहे.
2. मोरंडः मोरंड एक काळी किंवा गडद तपकिरी माती आहे, जी सर्वसाधारणपणे चुनखडी कणासोबत मिश्रित असते. ही मोठ्या कणांची रचना आहे, जी एकमेका सोबत पुष्कळ जवळ चिकटून राहत नाही. हिची ढेकूळे कमी टणक असतात व जेव्हा ती संपृक्त असते, तेव्हा ती बारीक चिखलामध्ये परिवर्तित होत नाही, उलटपक्षी शुष्क हवामानामध्ये ती कमी तडकते. ही वैनगंगा माळाची श्रेष्ठ गहू माती आहे.
3. खरडी व बरडीः खरडी व बरडी मातींचा हलका प्रकार आहे व बहुधा वर्धा जिल्ह्याच्या पूर्वी व उत्तरी भागा मध्ये आढळते. त्यांची खोली तीन इंचां पेक्षा कमी आहे. खरडी, जी जास्त विनिर्दिष्ट आहे वाळू सोबत मिश्रित निकृष्ट व उथळ गडद माती आहे. बरडी दगडां सोबत पसरलेली डोंगराळ जमीन आहे.
4. इतर माती: रेटरी (नियमित रेताड माती) व केचर (जलोढीय) माती ओढ्यांच्या तटांवर अर्थशून्य परिमाणांमध्ये आढळते.
जमीनीचा चांगला प्रकार स्थानिक रीत्या गहरी किंवा गहू-जमीन रुपात ज्ञात आहे, परंतु दुर्दैवाने वर्धा मध्ये एक मानक पीक रूपात गव्हाची निवड असमाधानकारक आढळून आली होती व जवार, ज्याचा कापूस वगळून जिल्ह्यामध्ये पिकविण्यात येणा-या सर्व पिकांमध्ये पहिला क्रमांक आहे, त्याच्या जागेवर गव्हाचे उत्पन्न घेण्यात आले आहे.
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